हर कोई सीखता है दुनिया में आकर, यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता ।
हैं गलत हम ,तो बता दो कोई फन जो इंसान मां के पेट से सीख कर आता ।।
मेरे दोस्त! अगर आपने आज तक कभी मंच संचालन नहीं किया और आपके मन के किसी कोने में एक पुरानी इच्छा सोई हुई है कि काश मैं भी कभी मंच संचालन कर पाता ,,,,, तो यकीन मानिए कि आज इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके विद्यालय का इस बार का गणतंत्र दिवस आपके जीवन में उस दम तोड़ रही इच्छा को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर लेकर आएगा। निश्चित रूप से इस बार गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के उद्घोषक सिर्फ और सिर्फ आप होंगे। मेरा यह वादा महज शब्द जाल नहीं इस बात का यकीन आपको इस लेख को पूरा पढ़ते पढ़ते हो जाएगा। और हां, मैं सिर्फ आपकी हिम्मत को जगा कर आप को स्टेज पर ही खड़ा नहीं करूंगा बल्कि कार्यक्रम के प्रारंभ से लेकर कार्यक्रम के समापन तक आपका साथ दूंगा।
तो दोस्त सबसे पहला काम आपका यही रहेगा कि आप आज और अभी से आने वाले गणतंत्र दिवस के मंच संचालन की तैयारी शुरू कर दें। इस तैयारी के साथ साथ आप अपने मन में यह विश्वास जगाए कि निश्चित रूप से आप बहुत अच्छा मंच संचालन करेंगे। आने वाले कुछ दिनों में आप बार-बार अपने मस्तिष्क में उस दृश्य को देखें जब आप एक बड़ी भीड़ के सामने मंच संचालन कर रहे हैं। अपने विद्यालय में पहले से मंच संचालन कर रहे साथी अध्यापक द्वारा किए गए संचालन पर विचार करते हुए सदैव ऐसे बिंदु सोचे जहां आप उनसे बेहतर क्या और कैसे कर सकते हैं। इसके पश्चात आपको अपनी इच्छा को अपने संस्था प्रधान तथा साथी गुरुजनों को बताते हुए इस बात का विनम्र निवेदन करना है कि इस बार का मंच संचालन आप करना चाहते हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि हम मंच संचालन का मौका लेना चाहते हैं परंतु वहां पहले से ही कोई एक ऐसा मौजूद होता है कि हम उससे अपनी तुलना करते हुए खुद को कमतर आंकते हैं और फिर संकोचवश यह सोचकर अपनी इच्छा को प्रकट नहीं कर पाते कि अगर मैं अच्छा नहीं कर पाया तो लोग क्या कहेंगे? लेकिन मेरे दोस्त अगर हमें जीवन का आनंद लेना है, अपने मन की किसी तमन्ना को पूरा करना है तो निश्चित रूप से हमें लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता छोड़नी पड़ेगी। मेरे पास मेरे दो मित्रों का प्रत्यक्ष उदाहरण है जिनका मानना था "मंच संचालन मुझसे हो ही नहीं सकता।" और मेरे थोड़े से संबल और हिम्मत से उन्होंने शुरुआत कर दी। और आज दोनों अपने अपने विद्यालय के श्रेष्ठ वक्ता हैं।
तो लीजिए अब चलते हैं हम उस सरल और सहज सी रूपरेखा की तरफ जिसके सहारे आप एक बेहतरीन शुरुआत करने वाले हैं। इस गणतंत्र दिवस समारोह की शुरू से लेकर अंत तक की रूपरेखा,,,,
शहीदों की मजारों पर,
शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर वर्ष मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।
देश की आन बान और शान के प्रतीक तिरंगे झंडे और मां शारदा को नमन करता हुआ मैं आप सब के स्नेह और सहयोग से आज के इस 73 में गणतंत्र दिवस समारोह का आगाज करना चाहूंगा।
कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु मैं श्रीमान,,,,,,,,, जी से निवेदन करूंगा कि आप आज के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का आसन ग्रहण कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं। (अब थोड़ा जोश के साथ बोलें) मैं चाहूंगा की जोरदार तालियों की गूंज से आपका स्वागत सत्कार और अभिनंदन किया जाए। मोजीज मेहमानों के सम्मान की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मैं श्रीमान,,,,,,, जी से आग्रह करूंगा कि आप विशिष्ट अतिथि का आसन ग्रहण कर कार्यक्रम की श्री वृद्धि करें। (इसी प्रकार जितने भी मेहमानों को मंच पर बिठाना हो उन्हें एक एक कर विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर बुलाते रहें । साथ ही विद्यार्थियों से जोश के साथ बोलते हुए तालियां बजवाते रहें।) अब मैं संस्था प्रधान श्रीमान,,,,,,, जी से निवेदन करूंगा कि आप अध्यक्ष पद पर विराजमान होकर आज के इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करें।
मैं तो सभी मेहमानों से यही कहना चाहूंगा कि
चांद की तरह चमकते रहना फूलों की तरह महकते रहना।
चांद की तरह चमकते रहना फूलों की तरह महकते रहना।
जब भी बुलाएं स्कूल में आप यूं ही आते रहना।
आप यूं ही आते रहना।।
आप सभी मंच पर विराजे मोजीज़ मेहमानों और ग्राम से पधारे हुए गणमान्य अतिथियों का मैं विद्यालय परिवार की ओर से तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हुआ स्वागत सत्कार वेलकम और इस्तकबाल करता हूं।
गणतंत्र दिवस समारोह के विधिवत शुभारंभ हेतु कार्यक्रम के अध्यक्ष और हमारे संस्था प्रधान श्री,,,,,,,, जी से निवेदन करता हूं कि आप मंचासीन अतिथियों के साथ ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का विधिवत आगाज करें। राष्ट्रगान हेतु,,,,,,,,,,, एंड पार्टी मंच पर आएं। (जब तक संस्था प्रधान तथा अतिथि लोग ध्वज के पास पहुंचे तब तक राष्ट्रगान के लिए तैयार की गई बालिकाएं माइक तक पहुंच जाएं। इस बीच आप सभी से सावधान की पोजीशन में खड़े रहने का निवेदन करें। ध्वजारोहण होते ही राष्ट्रगान शुरू करने का संकेत कर दें।)
तिरंगे झंडे को पहरा कर तो देखो,
जरा दिल में इसकी तस्वीर सजा कर तो देखो।
तुम हो ना जाओ देश पर कुर्बान तो कहना,
जरा तिरंगे को नजर उठा कर तो देखो।।
अब आपके सामने इन नन्हे मुन्ने देश के कर्णधारों की ओर से मार्च पास्ट का शानदार कार्यक्रम पेश किया जाएगा। (मार्च पास्ट के लिए प्रभारी शिक्षक द्वारा निर्देश प्रदान करते हुए मार्च पास्ट झंडे की सलामी और परेड निरीक्षण का कार्यक्रम किया जाएगा। माईक पर मार्च पास्ट का म्यूज़िक बजाएं,,,,,अगर साउंड सिस्टम ऐसा नहीं है तो मोबाईल में बजाकर माईक के पास रखें। मार्चपास्ट के दौरान बच्चों की टुकड़ियां मंच के सामने से गुजर रही हों तब आपको बोलना है,,,,,,) आजाद हिंद फौज के सच्चे सिपाहियों की तरह कदम से कदम मिलाते इन नन्हे मुन्ने सपूतों को देखकर कुछ पंक्तियां याद आती हैं -
बढ़ाए जा कदम जवान तू कदम बढ़ाए जा,
कौम की है जिंदगी तू कौन पे लुटाए जा,
(गीत की इन पंक्तियों को यदि आप गुनगुना सकें तो और अधिक प्रभावशाली रहेंगी/ यदि पीटी का कार्यक्रम है तो मार्चपास्ट के बाद करवाएं)
अब मार्चपास्ट के इस भव्य कार्यक्रम के पश्चात आप की खिदमत में व्यायाम प्रदर्शन का सुंदर कार्यक्रम पेश किया जाएगा। (प्रभारी शिक्षक द्वारा निर्देशित करते हुए पीटी का कार्यक्रम किया जाएगा। इस दौरान साउंड सिस्टम पर लो वॉल्यूम में देश भक्ति सॉन्ग का म्यूजिक बजाएं और बीच-बीच में इससे संबंधित कोई शेर शायरी बोलते रहें जैसे,,,)
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,
स्वपन के पर्दे निगाहों से हटाती हैं।
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।।
अब सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत आगाज करते हुए मैं आप सबको 73 वें गणतंत्र दिवस की पुन: हार्दिक शुभकामनाएं देता हुआ मां सरस्वती की पूजा आराधना हेतु मंचासीन अतिथियों को मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण हेतु आमंत्रित करता हूं,,,, (यहां अतिथियों को नाम से संबोधित करते हुए भी बुलाया जा सकता है)
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तुते ॥
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते ॥
जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा देता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप की रोशनी को मैं नमन करता हूँ॥
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता |
या वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना ||
या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता |
सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा ||
मेहमानों ने वीणापाणी मां शारदा की पूजा आराधना कर हम सबके लिए मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया।
अब मैं बुलाना चाहूंगा ,,,,,,,,, एंड पार्टी को जो लेकर आ रही हैं एक सुरीली सी सरस्वती वंदना। (बालिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी जाएगी उसके पश्चात आप बोलना जारी रखें।) नन्ही मुन्नी बालिकाओं ने अपनी सुरीली वाणी में सुंदर सी वंदना पेश कर मां सरस्वती का आशीष मांगा।
अब कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं बुलाना चाहूंगा देश भक्ति के भाव से ओतप्रोत झंडा गीत के लिए ,,,,,,,,,,,,, एंड पार्टी को। ,,,,,,,,,,,,, एंड पार्टी।
मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिए,
मुझे ना तन चाहिए ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा वतन चाहिए।
जब तक जिंदा रहूं इस मातृभूमि के लिए,
और जब मरूं तो तिरंगा कफ़न चाहिए।।
(बच्चों द्वारा झंडा गीत की प्रस्तुति दी जाएगी उसके पश्चात आप बोलना जारी रखें) जोश और जज्बे से भरे इस शानदार झंडा गीत के पश्चात अपने अमूल्य समय से कुछ पल निकालकर पधारे मौजूद मेहमानों और गांव से पधारे सभी सज्जनों का स्वागत सत्कार और अपने शब्दों के सुर संगीत से सम्मान करने हेतु मैं बुलाना चाहूंगा ,,,,,,,,,,,, एंड पार्टी को। तो लीजिए पेशे खिदमत ,,,,,,,,, एंड पार्टी का यह स्वागत गीत। (यदि मुख्य अतिथियों का माला साफा आदि के माध्यम से स्वागत का कार्यक्रम है तो झंडा गीत के बाद अथवा स्वागत गीत के बाद रखा जा सकता है)
तो दोस्तों ! इस प्रकार आपके मंच संचालन की भव्य शुरुआत हो चुकी है और आपका यह गणतंत्र दिवस समारोह कार्यक्रम परवान पर चढ़ चुका है,,,,, अब आगे का कार्यक्रम आप अपनी लिस्ट के अनुसार इसी प्रकार संचालित करते रहें,,,,, आगे के संचालन हेतु कुछ आवश्यक सुझाव आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं,,,,,
१. लिस्ट के अनुसार देश भक्ति गीत, लोकगीत, भजन, कव्वाली, नृत्य, लोक नृत्य, युगल गायन, समूह गान, आदि प्रस्तुतियों को A. लीजिए अब पेश है,,,,, B. पेश ए खिदमत है,,,,, C. कार्यक्रम की अगली कड़ी के रूप में आ रही हैं,,,,,, D. कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं बुलाना चाहूंगा,,,,, इनमें से किसी भी पंक्ति को बोलते हुए संबंधित पार्टी/ विद्यार्थी को मंच पर बुलाएं।
२. प्रत्येक प्रस्तुति के बाद उसकी थोड़ी तारीफ अवश्य करें तथा तालियां बजवाते हुए उनकी हौसला अफजाई करें।
३. कभी किसी प्रस्तुति से पहले और कभी उसके बाद उससे संबंधित कोई शेर शायरी बोलते रहें।
४. कभी-कभी कार्यक्रम के बीच में मंच की गरिमा के अनुसार कोई जोक भी सुना सकते हैं।
५. जॉक और शेरो शायरी को याद करने का प्रयास करें और जब याद हो जाए तब शुरुआती पंक्ति को लिखते हुए एक पेज तैयार कर लें। इस पेज को कार्यक्रम सूची की फाइल में कवर पेज के अंदर की तरफ पिन से अटैच कर ले ताकि आपको बार-बार पेज पलटने ना पड़े। जो शायरी आप बोल चुके उस पर निशान लगा दें ताकि रिपीट ना हो।
६. कार्यक्रम सूची में भी जो प्रस्तुति हो चुकी उस पर √ का निशान लगाते रहें।
७. किसी प्रस्तुति की टीम को आने में समय लगे तो कोई अच्छा सा जोक्स या छोटी कहानी सुनाएं।
८. कभी भी माइक को खाली नहीं रहने दे। कार्यक्रम के बीच में जब भी अंतराल आ जाता है तो लोग आपस में बातें करने लगते हैं। ऐसे में कार्यक्रम में शिथिलता आ जाती है।
९०. मंच के लिए उपयुक्त शेर, शायरी, छोटी कहानियां ,जोक्स आदि इसी ब्लॉग पर आपको मिल जाएंगे। इसके अतिरिक्त आप अन्य स्रोतों से भी इस प्रकार का अपना तरकश तैयार कर लें जो आपको हर हाल में श्रेष्ठ वक्ता साबित करवाएगा।
दोस्तों ! मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यदि आपने मन में ठान लिया तो आपके विद्यालय में इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य उद्घोषक सिर्फ और सिर्फ आप होंगे,,,,, अपने विचार तथा अनुभव कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं,,,,,
आपका स्नेहाकांक्षी -
✍ सांवर चौधरी
👌👌
जवाब देंहटाएंसरजी बहुत ही सराहनीय काम ह शिक्षा के क्षेत्र में
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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जवाब देंहटाएंनिस्संदेह मंच संचालन एक बेहतरीन अनुभव है, जो मन को सुकून देता है; भीतर की शक्तियों का प्राकट्य होता है। अनवरत जारी रखें
साधुवाद......👍👍
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद सर।
हटाएंसरल एवम् सटीक शब्दों में,सच में शुरुआत करने वालों के लिए बहुत काम का है
जवाब देंहटाएंOne more jewel in your crown . well done proud on you sir.
जवाब देंहटाएंशानदार गुरु आपके मार्गदर्शन से सब ठीक चाले है
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