उड़ूं अंबर में चिड़ियों सा चहक जाऊं,
खिलूं गुल सा चमन में, खुशबू सा महक जाऊं ।
कुहासे सारे संशय के, मेरे मन से हटा देना
मेरी मैया शारदे मां मुझे अपना बना लेना।।
क्या लेकर आए हो, क्या लेकर जाना है,
हमें तो सांसो का कर्ज चुकाना है।
बनाने वाले बनाते रहें कोठी बंगले,
हमें तो दिलों में घर बनाना है।
सितारों को आंखों में महफूज रख ले ए मुसाफिर,
आगे रात ही रात होगी।
तुम भी मुसाफिर, हम भी मुसाफिर,
फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी ।।
टैंक आगे बढ़ें या पीछे हटें,
कोख धरती की बांझ होती है।
फतह का जश्न हो या हार का शोक,
जिन्दगी मय्यतों पर रोती है। ।
पक्षी कहते हैं चमन बदल गया,
तारे कहते हैं गगन बदल गया।
मगर कहती है शमशान की खामोशी,
लाश वही है सिर्फ कफन बदल गया ।।
इस बस्ती से अलग, जमाने से जुदा कह दें,
अजब कहें, अजीम कहें, अलहदा कह दें।
आपकी रहनुमाई के किस्से इतने मकबूल हैं,
कि हमारा बस चले तो आपको खुदा कहदें ।।
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,
स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटाती हैं।
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।।
मैं तो अकेला ही चला था मंजिल की ओर।
राह में लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया ।।
आदमी टूट जाता है एक घर बनाने में,,,
लोग उफ तक नहीं करते बस्तियां जलाने में,,,
नन्हे से दिल में अरमान बनाए रखना,
दुनिया की भीड़ में पहचान बनाए रखना।
अच्छा नहीं लगता आपका उदास होना,
इन होठों पर सदा मुस्कान बनाए रखना।।
यह बात जरा महकते रहना मेहमान जो आने वाले हैं।
फूल मत बिछा देना राहों में हम पलके बिछाने वाले हैं।।
चिड़िया चोंच भर ले गई समदर घट्यो ना नीर।
दान दिया धन ना घटे कह गए दास कबीर ।।
जननी जणै तो भक्त जण, कै दाता कै शूर।
नहीं तो जननी बांझ रह, मती गमावै नूर ।।
राहों में भी राज़ होते हैं, फूलों के भी मिज़ाज होते हैं।
गलतियां हमारी माफ करना, क्योंकि चमकते चांद में भी दाग होते हैं। ।
(तो दोस्तों यह है मंच पर प्रसंग के अनुसार काम आने वाले कुछ शायरी के तीर,,,, जो मैंने बरसों से सहेज कर रखे हैं। तरकश के अगले किसी भाग में ऐसे ही चुने हुए देशभक्ति के कुछ शेर लेकर आऊंगा। पोस्ट आपको कैसी लगी कृपया कमेंट करके अवश्य बताएं।)
आपका स्नेहाकांक्षी -
✍ सांवर चौधरी
बहुत सुंदर गुरुजी ❣️
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