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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ईश वंदना : प्रार्थना सभा की शोभा

  दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।         प्रिय साथियों प्रणाम !  प्रार्थना सभा  विद्यालय में हमारे दिन का शुभारंभ है। प्रभावी प्रार्थना सभा न केवल विद्यार्थियों  बल्कि शिक्षकों के मन को भी शांत, एकाग्र चित् और प्रसन्न बना देती है। और जब दिन की शुरुआत ऐसी हो तो निस्संदेह हमारा पूरा दिन बड़ा शानदार गुजरता है और हम मनोयोग से अपने कार्य को एन्जोय करते हैं। प्रार्थना सभा में सरस्वती वंदना के पश्चात ईश वंदना का विशेष महत्व है। हम जगत् के पालक ईश्वर से समस्त सृष्टि के लिए दया की कामना करते हुए स्वयं दयामय हो जाते हैं। इसी प्रयोजन से इस पोस्ट में मैने बहुत अच्छी पांच ईश वंदनाएं संकलित की हैं जिनको आप अपने विद्यालय की प्रार्थना सभा में स्थान देकर उसकी श्री वृद्धि कर सकते हैं । आशा करता हूँ मेरा ये तुच्छ प्रयास आपकी कृपादृष्टि प्राप्त करेगा। मिलता है सच्चा सुख,,,, (ईश वंदना-1) मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में -२ यह विनती हर पल भगवन रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में मिलता है सच्चा सुख,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चाहे

सरस्वती वंदना : प्रार्थना सभा की शान

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ वीणा पाणी मां शारदा के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम !           साथियों ! प्रार्थना सभा हर विद्यालय की शान होती है। वास्तव में प्रार्थना सभा किसी भी विद्यालय के संपूर्ण चरित्र का दर्पण के समान प्रतिनिधित्व करती है। प्रार्थना सभा सरस्वती वंदना, ईश वंदना, प्रेरणा गीत, प्रेरक प्रसंग, सुविचार, समाचार वाचन आदि गतिविधियों का ऐसा समागम होता है जहां न केवल विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों के दिन की एक बेहतरीन शुरुआत होती है बल्कि विद्यार्थियों को आगे आकर अपनी प्रतिभा को बहुमुखी आयाम देने का सबसे उत्तम विकल्प भी होती है।         किसी भी विद्यालय की प्रार्थना सभा को श्रेष्ठ रूप देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है सुंदर सरस्वती वंदना। अक्सर देखने में आता है कि अधिकांश विद्यालयों में चुनिंदा छात्राओं द्वारा प्रतिदिन एक ही सरस्वती वंदना प्रस्तुत की जाती है। यदि हम अपने विद्यालय में सरस्वती वंदना के लिए छात्र और छात्राओं के चार-पांच दल बनाकर उनसे प्रतिदिन अलग-अलग सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दिलवाए तो निसंदेह हमारी प्रार्थना सभा

अंदाज-ए-बयां

  किसी की अदा‌ किसी की मुस्कान ‌में जादू होता है, किसी के संगीत तो किसी के साज में ‌जादू होता है । मुसाफिर बंजारे भी सुनकर रूक जाते हैं अक्सर, जिनके दिल से निकली‌ आवाज में जादू होता है। । एक,,,,,               वर्ष 2001,,,,गोवर्नमेंट बांगड़ कॉलेज डीडवाना के असेम्बली हाल में एन.एस.एस. (राष्ट्रीय सेवा योजना) की बैठक प्राचार्य जी की अध्यक्षता में चल रही है। प्राचार्य जी (माफी चाहूँगा उस गुणग्राही सज्जन पुरूष सरदार जी का नाम स्मृति में नहीं रहा) ने घोषणा की - " आज सभी स्वयंसेवक कॉलेज की एक-एक समस्या बताएंगे। और हां एक समस्या/कमी तो हर एक को बतानी ही होगी। "  अब प्राचार्य जी के आदेश की पालना में क्रमशः बारी बारी स्वयं सेवक खड़े होकर समस्या बता रहे हैं । एक- "सर कॉलेज के बगीचे का सुधार होना चाहिए।" दो- "सर पेयजल के कुछ नल टूटे/खराब हैं।" तीन- "सर कॉलेज परिसर में पेड़ और अधिक होने चाहिए।"          इसी प्रकार चार,पांच,छः,,,,,,कुछ उन्ही बातों का दोराहन कर रहे हैं तो कुछ नयी समस्याएं गिना रहे हैं। प्राचार्य जी सभी समस्याओं को ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं, जो उ