प्रसन्न चित्त बनो, प्रश्न चिह्न नहीं ।। प्रणाम मित्रों! कहा जाता है कि विद्यालय की दीवारें भी उसके चरित्र का आईना होती हैं। सच भी है अक्सर प्रत्येक विद्यालय में दीवारों पर इस प्रकार के अनमोल वचन, महापुरुषों के कथन, लोक में प्रचलित उक्तियां आदि लिखे हुए देखने को मिलते हैं जो एक ओर विद्यालय के चरित्र का प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं, वहीं दूसरी ओर जाने-अनजाने में विद्यार्थियों को उत्तम संस्कार प्रदान करते हैं। आज के इस लेख में मैं ऐसे ही कुछ वाक्य लेकर आया हूं जो किसी भी विद्यालय की दीवारों पर स्थान पाकर उसकी कीर्ति में श्री वृद्धि करेंगे। यह संकलन कुछ विद्वान मित्रों के सहयोग से किया गया है जिसमें महापुरुषों के मुख से निःसृत अनमोल वचन, महान ग्रंथों से उद्धृत प्रेरक कथन तथा जनमानस में प्रचलित उक्तियां को स्थान दिया गया है। आशा करता हूं कि यह तुच्छ सा प्रयास किसी शिक्षा मंदिर की शोभा बन कर मुझे अभिभूत करेगा। जीवन का आधार है शिक्षा, बच्चों का अधिकार है शिक्षा। शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य आत्मनिर्भर बनाना है। शिक्षा वह नींव है जिस पर हम अपने भविष्य का निर्माण करते
विद्यालय में सत्र पर्यन्त आयोजित सह शैक्षिक गतिविधियों, उत्सव, पर्व तथा हर छोटे बड़े आयोजन में आपकी सफलता के लिए श्रेष्ठ संकलन आपको एक ही पेज पर मिलेगा। जो शिक्षक, विद्यार्थी या आगन्तुक हर भूमिका में आपको श्रेष्ठतम स्थापित करेगा।